बुधवार, 10 अगस्त 2011

आपका का सच्चा मित्र या महज़ एक छलावा?

आपका का सच्चा मित्र या महज़ एक छलावा?
               दोस्तों इस लिए कहता हूँ एक सच्च मित्र बनो !! 

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      आज कल हर बात के लिए कोई न कोई दिवस मनाया जाता है! मित्रता दिवस पूर्व की तरह इस बार भी पूरे जोर शोर से मनाया गया! सभी जानते हैं कि सच्चा मित्र बड़े भाग्य से ही सुलभ हो पाता है! रामचरित मानस में भी गोस्वामी तुलसी दास जी ने सच्चे मित्र की पहचान के लिए जो कुछ लिखा है उसका भावार्थ यह है कि अपने पहाड़ से दुख को एक धूल के कण के समान और मित्र के रज कण समान दुख को पर्वत के समान समझना चाहिए!(वर्तमान में ठीक इसके विपरीत हो रहा है यह एक विचारणीय प्रश्न है) मित्र की यथाशक्ति मदद कर सकते हैं तो अवश्य करनी चाहिए और जब दोस्त विपत्ति में हो तो उसे पूर्व से सौ गुना स्नेह करना चाहिए!और एक सच्चा मित्र वही है अथवा हो सकता है जो अपने मित्र को कुमार्ग(गलत) पर जाने से रोके और सुमार्ग पर ले चले!और आज तो "प्रेमी ही अपनी प्रेमिकाओं की हत्या तक करने में जरा सा भी नहीं चूकते!" जबकि संबंधों की शुरुआत मित्रता से ही शुरू हो पाती है! जो मित्र बनने लायक भी नहीं है वह क्या जीवन साथी बन सकते हैं? आज आधुनिक पीढ़ी को चाहिए कि प्राचीन ग्रंथों की अच्छी बातों को ग्रहण करे और जो प्रसंग अच्छा रास्ता दिखाते हों उन्हें मन से स्वीकार किया जाए, इसमें कोई हर्ज नहीं है!   

मेरे सच्चा मित्रो की पोस्ट पर  जाए. 
इस ब्लॉग की 100 वीं पोस्ट पेश करते हुए मुझे खुशी और हर्ष हो रहा है! 
सवाई सिंह राजपुरोहित  AAJ KA AGRA
                          और 
  सोनू जी का ब्लॉग SMS HINDI