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गुरुवार, 21 जून 2012
RAJPUROHIT SAMAJ: दूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा में जिला बाडमेर राजस्...
RAJPUROHIT SAMAJ: दूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा में जिला बाडमेर राजस्...: भगवान ब्रह्मा हिन्दू त्रय के प्रमुख भगवान है. अन्य दो भगवान विष्णु और भगवान महेश हैं! ब्रह्मा सृष्टि का स्वामी है! पुष्कर में ब्रह्मा का...
रविवार, 25 सितंबर 2011
अभी वतन आजाद नही, आजाद हिंद तू फ़ौज बना!!
श्रम करके संध्या को घर में, अपने बिस्तर पर आया था
उस दिन ना जाने क्यों मैंने, मन में भारीपन पाया था
जब आँख लगी तो सपने में लहराता तिरंगा देखा था
राष्ट्र ध्वजा की गोद लिए, भारत माँ का बेटा था
जयहिंद का नारा बोल बोल के आकर वह चिल्लाये थे
उस रात स्वंय बाबू सुभाष, मेरे सपने में आये थे
बोले भारत भूमि में जन्मा है, तू कलंक क्यों लजाता है
राग द्वेष की बातो पर, क्यों अपनी कलम चलाता है
इन बातो पर तू कविता लिख, मै विषय तुम्हे बतलाता हूँ
वर्तमान के भारत की मै,झांकी तुझे दिखाता हूँ
हमने पूनम के चंदा को राहू को निगलते देखा है
हमने शीतल सरिता के पानी को उबलते देखा है
गद्दारों की लाशों को चन्दन से जलते देखा है
भारत माता के लालों को शोलो पर चलते देखा है
देश भक्त की बाहों में सर्पों को पलते देखा है
हमने गिरगिट सा इंसानों को रंग बदलते देखा है
जो कई महीनो से नही जला हमने वो चूल्हा देखा है
हमने गरीब की बेटी को फाँसी पर झूला देखा है
हमने दहेज़ बिन ब्याही बहुओ को रोते देखा है
मजबूर पिता को गर्दन बल पटरी पर सोते देखा है
देश द्रोही गद्दारों के चहरे पर लाली देखी है
हमने रक्षा के सौदों में होती हुई दलाली देखी है
खादी के कपड़ो के भीतर हमने दिल काला देखा है
इन सब नमक हरामो का,शेयर घोटाला देखा है
हमने तंदूर में नारी को रोटी सा सिकते देखा है
लाल किले के पिछवाड़े, अबला को बिकते देखा है
राष्ट्रता की प्रतिमाओ पर,लगा मकड़ी का जाला देखा है
जनपद वाली बस्ती में हमने कांड हवाला देखा है
आतंकवाद के कदमों को इस हद तक बढ़ते देखा है
अमरनाथ में शिव भक्तों को हमने मरते देखा है
होटल ताज के द्वारे, उस घटना को घटते देखा है
माँ गंगा की महाआरती में, बम फटते देखा है
हमने अफजल की फाँसी में संसद को सोते देखा है
जो संसद पर बलिदान हुए, उनका घर रोते देखा है
उन सात पदों के सूरज को भारत में ढलते देखा है
नक्शलवाद की ज्वाला में, मैंने देश को जलते देखा है
आजादी के दिन दिल्ली,बन गई दुल्हनिया देखी है
15 अगस्त के दिन भोलू की भूखी मुनिया देखी है
हमने संसद के अन्दर राष्ट्र की भ्रस्टाचारी देखी है
हमने देश के साथ स्वयं, होती गद्दारी देखी है
ये सारी बाते सपने में नेता जी कहते जाते थे
उनकी आँखों से झर झर आंसू भी बहते जाते थे
बोले जा बेटे भारत माता के, अब तू सोते लाल जगा
अभी वतन आजाद नही, आजाद हिंद तू फ़ौज बना
उस दिन ना जाने क्यों मैंने, मन में भारीपन पाया था
जब आँख लगी तो सपने में लहराता तिरंगा देखा था
राष्ट्र ध्वजा की गोद लिए, भारत माँ का बेटा था
जयहिंद का नारा बोल बोल के आकर वह चिल्लाये थे
उस रात स्वंय बाबू सुभाष, मेरे सपने में आये थे
बोले भारत भूमि में जन्मा है, तू कलंक क्यों लजाता है
राग द्वेष की बातो पर, क्यों अपनी कलम चलाता है
इन बातो पर तू कविता लिख, मै विषय तुम्हे बतलाता हूँ
वर्तमान के भारत की मै,झांकी तुझे दिखाता हूँ
हमने पूनम के चंदा को राहू को निगलते देखा है
हमने शीतल सरिता के पानी को उबलते देखा है
गद्दारों की लाशों को चन्दन से जलते देखा है
भारत माता के लालों को शोलो पर चलते देखा है
देश भक्त की बाहों में सर्पों को पलते देखा है
हमने गिरगिट सा इंसानों को रंग बदलते देखा है
जो कई महीनो से नही जला हमने वो चूल्हा देखा है
हमने गरीब की बेटी को फाँसी पर झूला देखा है
हमने दहेज़ बिन ब्याही बहुओ को रोते देखा है
मजबूर पिता को गर्दन बल पटरी पर सोते देखा है
देश द्रोही गद्दारों के चहरे पर लाली देखी है
हमने रक्षा के सौदों में होती हुई दलाली देखी है
खादी के कपड़ो के भीतर हमने दिल काला देखा है
इन सब नमक हरामो का,शेयर घोटाला देखा है
हमने तंदूर में नारी को रोटी सा सिकते देखा है
लाल किले के पिछवाड़े, अबला को बिकते देखा है
राष्ट्रता की प्रतिमाओ पर,लगा मकड़ी का जाला देखा है
जनपद वाली बस्ती में हमने कांड हवाला देखा है
आतंकवाद के कदमों को इस हद तक बढ़ते देखा है
अमरनाथ में शिव भक्तों को हमने मरते देखा है
होटल ताज के द्वारे, उस घटना को घटते देखा है
माँ गंगा की महाआरती में, बम फटते देखा है
हमने अफजल की फाँसी में संसद को सोते देखा है
जो संसद पर बलिदान हुए, उनका घर रोते देखा है
उन सात पदों के सूरज को भारत में ढलते देखा है
नक्शलवाद की ज्वाला में, मैंने देश को जलते देखा है
आजादी के दिन दिल्ली,बन गई दुल्हनिया देखी है
15 अगस्त के दिन भोलू की भूखी मुनिया देखी है
हमने संसद के अन्दर राष्ट्र की भ्रस्टाचारी देखी है
हमने देश के साथ स्वयं, होती गद्दारी देखी है
ये सारी बाते सपने में नेता जी कहते जाते थे
उनकी आँखों से झर झर आंसू भी बहते जाते थे
बोले जा बेटे भारत माता के, अब तू सोते लाल जगा
अभी वतन आजाद नही, आजाद हिंद तू फ़ौज बना
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सोमवार, 19 सितंबर 2011
वतन खतरे में है
जागो जवानो वतन की आबरू खतरे में है
सो नहीं सकते अपना वतन खतरे में है
नौजवानों जाग जाओ बुलाता है वतन
देश की अपने अस्मत पड़ी खतरे में है
अब सुरक्षित न हिमालय न ही ब्रह्मपुत्र है
देख लो सीमायें सारी खड़ी खतरे में है
सो चुके हैं देश को रह देना जिनका काम
ठोंक कर ताल उठो, वतन खतरे में है
सबको जना इस माटी ने क़र्ज़ इसका है बहुत
लाज माँ की, शर्म बहनों की अब खतरे में है
बाँध कर राखी उठा लो तुम कसम अब दोस्तों
ये सदा "कादर" की है अब वतन खतरे में है
केदारनाथ "कादर"
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