सोमवार, 19 सितंबर 2011

वतन खतरे में है


जागो जवानो वतन की आबरू खतरे में है

सो नहीं सकते अपना वतन खतरे में है


नौजवानों जाग जाओ बुलाता है वतन


देश की अपने अस्मत पड़ी खतरे में है


अब सुरक्षित न हिमालय न ही ब्रह्मपुत्र है


देख लो सीमायें सारी खड़ी खतरे में है

सो चुके हैं देश को रह देना जिनका काम

ठोंक कर ताल उठो, वतन खतरे में है



सबको जना इस माटी ने क़र्ज़ इसका है बहुत

लाज माँ की, शर्म बहनों की अब खतरे में है


बाँध कर राखी उठा लो तुम कसम अब दोस्तों


ये सदा "कादर" की है अब वतन खतरे में है


केदारनाथ "कादर"

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