रविवार, 10 अप्रैल 2011

किताबें करती हैं.....

                आजकल लोग किताबों की बजाय इंटरनेट अथवा अन्य साधनों से ज्ञानार्जन करना अधिक मुफीद समझते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि किताब पढ़ने की परम्परागत आदत आपके कैरियर में चार चांद लगा सकती है? किताबों के फायदों पर हुई एक रिसर्च की बात मानें तो जो किशोर अपनी स्कूली किताबों के अलावा अन्य किताबें पढ़ते हैं उनका कैरियर दूसरों की तुलना में अधिक बूस्ट करता है। रिसर्च के मुताबिक 16 वर्षीय किशोर यदि महीने में एक बार भी किताब पढ़ लेते हैं, तो 33 वर्ष की आयु तक उनमें मैनेजमेंट के गुण विकसित हो जाते हैं और उनका कैरियर बेस्ट करने लगता है। जबकि यह बात उनमें नहीं पाई गई जो किताबों में रुचि नहीं लेते हैं। दोस्तों के साथ खेलने, म्यूजियम जाने या कुछ अन्य काम करने के अलावा किताबें पढ़ने की आदत किशोरों को परफेक्ट बनाने में मदद करती है। चाइल्ड डेवलपमेंट एक्पर्ट सू पालमर ने बताया कि पढ़ने की आदत बच्चों को सामाजिक बनाने में मददगार साबित हुई है। दरअसल इससे बच्चों के मस्तिष्क को सकारात्मक दिशा मिलती है।




रविवार, 3 अप्रैल 2011

क्रिकेट के भगवान सचिन का एक सपना



क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले मास्टर सचिन तेंदुलकर का शतकों का महाशतक बनाने का सपना भले ही अधूरा रह गया हो लेकिन क्रिकेट विश्वकप जीतने का उनका सपना पूरा हो गया।

 


और  28 साल बाद मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में शनिवार को 121 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना पूरा हो गया। धौनी के शेरों ने हमें फिर से क्रिकेट का विश्व चैंपियन बना दिया। 49वें ओवर में धौनी के विजयी छक्का लगाते ही पूरा देश झूम उठा। इस जीत के साथ ही टीम इंडिया ने कोलकाता में 1996 विश्व कप सेमीफाइनल में श्रीलंका से मिली हार का बदला भी ले लिया। सचिन ने इस मैच में अपना महाशतक भले ही नहीं पूरा किया, लेकिन उन्होंने आज अपने जीवन का सबसे बड़ा दिन जी लिया। जीत के बाद खिलाडि़यों और क्रिकेट प्रेमियों की आंखों में कहीं खुशी के और कहीं गम के आंसू थे
 और मेरी कालोनि  में देर रात तक आतिशबाजी होती रही। ढोल नगाड़ों की थाप पर लोग झूमते रहे और लोगों की टोलियां सड़कों पर झंडा लहराती हुई टीम इंडिया की जय हो के नारे लगाती रहीं

शनिवार, 2 अप्रैल 2011

टीम इंडिया को शुभकामनाय चक दे इंडियाें

मुंबई में होने वाले वर्ल्ड कप के फ़ाइनल मैच में जीत के लिए हमारी टीम इंडिया को शुभकामनायें...

कप के साथ भारत श्रीलंका के कप्तान

इस बार वर्ल्ड कप हमारा है 
काफी समय बाद भारत के पास मौका आया है
कि वह 1983 को दोहराए. वर्तमान में हमारी जिस तरह की टीम है, 
उससे आशा बंधती है कि  हम वर्ल्ड कप जीत सकती है.
लेकिन फिर भी न जाने क्यों लगता है 
कि कहीं मामला उल्टा न पड़ जाए. हालांकि, 
मैं खेल भावना का पक्षधर हूं 
और में जनता कि वर्ल्ड कप कोई भी टीम जीते लेकिन 
मुकाबला रोचक होना चाहिए
मैं टीम इंडिया को ढेर सारी शुभकामनायें देता हूं !

चक दे इंडिया  
                हम ही जीतेंगे।
                                  चक दे इंडिया   
                                                  और हम ही जीतेंगे।