सोमवार, 16 मई 2011

सन् 1835 में पहला अंग्रेज "मैकाले" भारत का दौरा करने के बाद ब्रिटिश संसद में दिए अपने भाषण में बोला ...

  सन् 1835 में पहला अंग्रेज "मैकाले" भारत का दौरा करने के बाद ब्रिटिश संसद में दिए अपने भाषण में बोला ( ये दस्तावेज संग्रहित हैं ) :

" मैं भारत के अनेक राज्यों में घूमा. वहाँ मैंने एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं देखा जो भिखारी हो, चोर हो. ऐसी विलक्षण सम्पदा देखी है मैंने इस देश में, ऐसे उच्चतम मौलिक विचार, इतने काबिल/गुणी व्यक्ति देखे हैं कि मुझे नहीं लगता कि हम कभी इस देश को गुलाम बना पाएँगे, जब तक कि हम इस देश की अध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत को नष्ट ना कर दें, जो इस देश की वास्तव में रीढ़ है और इसलिए मेरा प्रस्ताव है कि इस देश की वर्षों पुरानी "शिक्षा प्रणाली" और यहाँ की "पौराणिक" संस्कृति को बदल दिया जाए, क्यूंकि जब भारतीय ये सोचेंगे कि जो कुछ भी विदेशी है और ब्रिटेन का है, वह अच्छा और बेहतर है उनके स्वयं से, तब ये भारतीय अपनी पौराणिक संस्कृति और स्वाभिमान को खो बैठेंगे. और तब ये लोग वो बन जाएंगे जो हम उन्हें बनाना चाहते हैं, एक वास्तविक गुलाम भारत !"

      सौजन्यः -
http://www.scribd.com/doc/1167573/what-was-india-in-१८३५

मैकाले की हमारे देश के बारे में अच्छी सोच थी। पढ़कर मुझे तो अच्छा लगा आपको केसा लगा बताए 

7 टिप्‍पणियां:

  1. यही तो हुआ....अच्छी जानकारी पढवाई ......

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  2. देर से आने के लिए क्षमा चाहूँगा. आप के सभी पोस्ट पढ़े बहुत अच्छा काम कर रहे है आप !
    आज की स्थिति के लिए मैकाले की अपेक्षा आज की सरकार तथा आज के काले अंग्रेज अधिक दोषी हैं.
    मैकाले तो विदेशी था वो जब भी सोचेगा अपने देश के लिए ही सोचेगा.
    सच्चे अर्थों में कहा जाय तो वो एक सच्चा देश भक्त था.
    लेकिन आज के इन राजनेताओं को क्या कहा जाय जो रहेंगे इस देश में,
    सारा फायदा उठाएंगे इस देश का और पैसा जमा करेंगे विदेशों में .
    बहुत ही सार्थक लेखन है आपका ! आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !!

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  3. आदरणीय डॉ॰ मोनिका शर्मा जी
    मदन शर्माजी
    आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी

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  4. आपने जो जानकारी उसके लिए आपका धन्यवाद.

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  5. आपको बुद्ध पूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनायें

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