गुरुवार, 20 जनवरी 2011

आगरा कालेज में राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह

आगरा कालेज में राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में मौजूद अतिथि

आगरा कालेज में राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डीएन जौहर ने यह उद्गार नैतिकता एवं मानव मूल्यों के उन्नयन विषय पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किया। उन्होंने रविवार को आगरा कालेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का
उद्घाटन किया। इंडियन एकोनामिक एसोसिएशन के सचिव प्रो. एके ठाकुर एवं राज्यपाल उ.प्र. के विधि सलाहकार डॉ. अरविंद मिश्रा बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे।
संगोष्ठी में बीज व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए प्रो. ठाकुर ने कहा कि हमारा दर्शन रहा है कि लक्ष्य को प्राप्त करने के साधन अच्छे होने चाहिए। आज हम अपने आदर्शों से भटक रहे हैं। लोग उपदेश देने और दूसरी की कमी निकालने में लगे हैं। स्वयं का मूल्यांकन नहीं हो रहा है। विश्वविद्यालयों की शैक्षिक अराजकता सिद्ध कर रही है कि मूल्यों में गिरावट आई है। प्रो. जौहर ने कहा नागरिक समाज की अवधारणा मूल्यों की बुनियाद पर टिकी है। जीवन में मातृ, पितृ, गुरु और समाज का ऋण होता है। सभी ऋण को चुकाना होगा। समाज के ऋण चुका कर ही मूल्यों की रक्षा होगी। उन्होंने हर क्षेत्र के अपने-अपने मूल्य बताए।
संगोष्ठी में आगरा कालेज के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार रावत कालेज का इतिहास और उच्च शिक्षा में किए जा रहे नवीन प्रयासों के बारे में बताया। संगोष्ठी की सचिव अर्थशास्त्र विभाग की डॉ. दीपा रावत ने संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। 


इस अवसर पर एक पत्रिका स्मारिका का विमोचन करते अतिथि   



इस अवसर पर एक पत्रिका  स्मारिका का विमोचन हुआ और हिंदी विभाग के डॉ. भूपाल सिंह की "वैल्यू एंड सिविलाइजेशन"पर डाक्यूटमेंट्री प्रस्तुत की गई। अंत में अतिथियों को शाल उढ़ाकर और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। पहले दिन चले तकनीकी सत्र में नीतिशास्त्र और मानव मूल्यों के सैद्धांतिक निहितार्थ, भूमंडलीकरण के युग में व्यापारिक नीति शास्त्र और मूल्य की भूमिका आदि विषयों पर शोध पत्र पढ़े गए। 

आगरा कालेज के अर्थशास्त्र विभाग में आयोजित संगोष्ठी में उपस्थित लोग।
समापन सत्र में नैतिकता का पहला पाठ बच्चों को मां सिखाती है। संस्कार के साथ मानवीय मूल्य हमारे जीवन का हिस्सा बन जाते हैं, लेकिन वैश्वीकरण के प्रभाव और बदलती प्राथमिकताओं ने मूल्यों की प्राथमिकता बदल दी है। जरूरी है कि शिक्षा के साथ धर्म को जोड़ दिया जाए। धर्म नैतिकता को मानव मूल्यों से जोड़ने का काम करेगा। यह विचार आगरा कॉलेज में चल रही दो दिवसीय संगोष्ठी में व्यक्त किये गये। नैतिकता व मानवीय मूल्यों का उन्नयन संगोष्ठी का समापन पैनल डिस्कशन के साथ हुआ।


आगरा कालेज में दुसरे दिन राष्ट्रीय संगोष्ठी मौजूद अतिथि




आगरा कालेज के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार रावत संबोधित करते  


कॅालेज के अर्थशास्त्र विभाग में दो दिवसीय संगोष्ठी के अंतिम दिन पैनल डिस्कशन में राज्यपाल के विधि सलाहाकार डॉ. अरविंद मिश्रा, सह संयोजक डॉ. आलोक कुमार, प्रो. वेद त्रिपाठी, डॉ. शोभा शर्मा और डॉ. तरुण शर्मा ने नैतिकता और मानव मूल्यों के उन्नयन की नींव परिवार से रखने पर जोर दिया। डॉ. अरविंद मिश्रा ने कहा कि अगर सभी अपने काम के नैतिक सिद्धांतों का पालन करें तो मूल्यों का रास रोका जा सकता है। प्रो. वेद त्रिपाठी ने कहा कि समय के साथ मूल्यों में परिवर्तन आता है और विकास के साथ भ्रष्टाचार बढ़ता है। डॉ. तरुण शर्मा ने कहा कि धर्म की मदद से हम नैतिकता और मानवीय मूल्यों के ह्रास को रोक सकते हैं। डॉ. शोभा शर्मा के अनुसार सामाजिक, आर्थिक और औद्योगीकरण के चलते मानव मूल्यों में परिवर्तन आता है। 

 शोध पत्र प्रस्तुत करते  

इससे पूर्व तीन समानांतर तकनीकी सत्रों में 35 से ज्यादा शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। समापन सत्र को नारायण कॉलेज शिकोहाबाद के पूर्व प्राचार्य डॉ. जयशंकर प्रसाद द्विवेदी ने भी संबोधित किया। अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. मनोज रावत ने कहा कि नैतिक और सामाजिक मूल्यों के संवर्धन में कॉलेज व शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, आगरा कॉलेज ने इसकी शुरूआत कर दी है। आयोजन सचिव दीपा रावत ने धन्यवाद किया। संचालन डॉ. उमेश चंद्रा ने किया। इस दौरान डॉ. एसएस गोयल, डॉ. एससी गोयल, डॉ. वीके माहेश्वरी, डॉ. आरके श्रीवास्तव, डॉ. सुधीर चौहान, डॉ. दीपशिखा सिंघल, डॉ. सुनीता नंदा, डॉ. शरद भारद्वाज, डॉ. जयश्री भारद्वाज, डॉ. नीरजा माहेश्वरी, प्रो. अश्वनी शर्मा, डॉ. राकेश कुमार, डॉ. अमित अग्रवाल मौजूद थे।


 नारायण कॉलेज शिकोहाबाद के पूर्व प्राचार्य डॉ. जयशंकर प्रसाद द्विवेदी ने भी संबोधित करते 
राष्ट्रीय संगोष्ठी में समापन सत्र  
आगरा कालेज के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार रावत मिडिया को जानकारी देते  
संगोष्ठी में उपस्थित लोग

संगोष्ठी में उपस्थित 

संगोष्ठी की सचिव अर्थशास्त्र विभाग की डॉ. दीपा रावत ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समापन सत्र के अंत में राष्ट्रगान प्रस्तुत किया।

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