श्री अतुल माहेश्वर | जी |
देश के प्रमुख हिंदी समाचार पत्र अमर उजाला के प्रबंध निदेशक और पत्रकार अतुल माहेश्वरी पंचतत्व में विलीन हो गए। वे 55 वर्ष के थे। यमुना तट पर सेक्टर-94 स्थित श्मशान घाट पर हजारों लोगों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। उनकेपुत्र तन्मय माहेश्वरी ने जब मुखाग्नि दी तो वहां उपस्थित लोगों के आंसू छलक आए। अंतिम संस्कार में राजनीतिक, प्रशासनिक, सांस्कृतिक और मीडिया जगत से जुड़ी अनेक हस्तियां शामिल हुईं।
अमर उजाला समूह के प्रमुख के निधन से मीडिया जगत स्तब्ध
सोमवार सुबह गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में संक्षिप्त बीमारी के बाद उनका निधन हो गया था। श्री माहेश्वरी के पार्थिव शरीर को गुड़गांव से नोएडा के सेक्टर-50 स्थित उनके आवास लाया गया। वहां करीबियों और चाहने वालों ने अंतिम दर्शन कर उनसे जुड़ी यादें ताजा कीं। उनके शोक संतप्त परिवार में पत्नी स्नेहलता, पुत्र तन्मय और पुत्री अदिति हैं। श्री माहेश्वरी 37 वर्षों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय थे और अमर उजाला पत्र समूह को नई ऊंचाई पर पहुंचाने में उनका अहम योगदान था। उन्होंने अमर उजाला ग्रुप के संस्थापक और अपने पिता मुरारीलाल माहेश्वरी के मार्गदर्शन में इस क्षेत्र में कदम रखा और कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए।
उनके नेतृत्व में ही अमर उजाला के संस्करण उत्तर प्रदेश के अलावा हिमाचल, दिल्ली, उत्तराखंड, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर से निकलने शुरू हुए। आज समाचार पत्र के 18 संस्करण प्रकाशित हो रहे हैं। श्री माहेश्वरी ने नब्बे के दशक में हिंदी के पहले संपूर्ण आर्थिक दैनिक समाचार पत्र ‘कारोबार’ का प्रकाशन शुरू किया। उन्होंने सफल दैनिक टैब्लायड ‘अमर उजाला कॉम्पैक्ट’ का प्रकाशन शुरू करके नया पाठक वर्ग भी विकसित किया। वह मीडिया क्षेत्र से जुड़े कई संगठनों से संबद्ध थे और दुनियाभर में इस क्षेत्र में हो रहे बदलाव पर पैनी नजर रखते थे।
तीन मई 1956 को दिल्ली में जन्मे श्री माहेश्वरी की आरंभिक शिक्षा-दीक्षा मथुरा में हुई थी। उन्होंने बरेली से राजनीति विज्ञान में एमए किया था। पढ़ाई केसाथ-साथ पिता मुरारीलाल माहेश्वरी के कामकाज में हाथ बंटाते हुए उन्होंने पत्रकारिता के गुर सीखे। इसके बाद अमर उजाला के विस्तार की कल्पना को साकार करने वे 1986 में मेरठ चले गए। उन्होंने अमर उजाला के मेरठ संस्करण को संपूर्ण और आधुनिक अखबार बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिया और अखबार को नई पहचान देने के साथ-साथ अपनी उद्यमशीलता का भी सिक्का मनवाया। न सिर्फ अखबार के प्रबंधन बल्कि संपादकीय की भी उन्हें गहरी समझ थी। मृदुभाषी और सौम्य स्वभाव के कारण श्री माहेश्वरी मीडिया जगत में लोकप्रिय थे। अमर उजाला के हर कर्मचारी के लिए वे अभिभावक की तरह थे। कर्मचारियों केप्रति उनका व्यवहार आत्मीयता भरा होता था। उनकी उदारता और सहृदयता का ही नतीजा था कि हर व्यक्ति सहजता से उनसे अपनी बात कह सकता था।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी, मुख्यमंत्री मायावती और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अपने शोक संदेश में कहा कि श्री माहेश्वरी हिंदी पत्रकारिता जगत के प्रमुख स्तंभ थे। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने भी उनके निधन पर दुख जताया है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा कि श्री माहेश्वरी के असामयिक निधन से हिंदी पत्रकारिता में आई रिक्तता को भरना बेहद मुश्किल होगा।
"समाचार परिणाम" ब्लॉग की तरफ से श्री अतुल माहेश्वर जी को श्रद्घांजलि और भगवान...अल्लाह उनकी आत्मा को शांति दे !
जहा से लिया है उसका लिक ये है!
http://www.amarujala.com/national/nat-Death%20of%20Mr%20Atul%20Maheshwari-7362.html
यह बेहद दुखद समाचार है और ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे!
जवाब देंहटाएंईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे|
जवाब देंहटाएंईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे|
जवाब देंहटाएंअतुल जी लगन और कर्मठता की प्रतिमूर्ति थे। एक कुशल प्रबंधक के साथ-साथ एक सुलझे पत्रकार के गुण भी उनमें दर्जा-ए-उत्तम मौजूद थे। अखबार में क्या जाना है और क्या नहीं जाना, अच्छी तरह समझते थे। अफसोस तो इस बात का है कि वह 55 साल की कम उम्र में ही हमें छोड़कर चले गए। परिवार, समाज और हिंदी पत्रकारिता को अभी उनकी सख्त जरूरत थी। बुजुर्गों का बड़ा सम्मान करते थे। जब भी मिलते थे, बड़ी इज्जत से पेश आते थे। मेरा विश्वास है कि आज वह हमारे बीच में ना होकर भी हमारे साथ रहेंगे। अमर उजाला का उजाला सारे भारत में फैलेगा। अतुल जी अपने पीछे एक मजबूत पत्रकारों की टीम छोड़कर गए हैं। परमात्मा उनकी आत्मा को शांति दे और अमर उजाला परिवार को इस ना भरने वाले नुकसान को सहन करने को शक्ति प्रदान करें। राजकुमार आगरा
जवाब देंहटाएंVery Sad news. Atul ji ne Amar Ujala ko Ek nai Pahchan di.
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